Wednesday, March 4, 2015

रत्नकाजी लूनिभा: 

म सपना हैन 
साकार हुँं 
भ्रम हैन 
आकार हुँं 
तिम्रै मन मस्तिश्कको 

नपोखेको बिचार हुँं 

 म सपना हैन साकार हुँं 

भ्रम हैन आकार हुँं

 तिम्रै मन मस्तिश्कको 

नपोखेको बिचार हुँं

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